देखो मैंने देखा है ये इक सपना
फूलों के शहर में है घर अपना
फूलों के शहर में है घर अपना
यहाँ तेरा मेरा नाम लिखा है
हो ये है दरवाजा जहाँ तू खड़ी है
यहाँ से नज़ारा देखो पर्वतों का
झाकूँ मैं कहाँ से कहाँ है झरोखा
फूलों के शहर में है घर अपना
अच्छा ये बताओ कहाँ पे है पानी
बाहर बह रहा है झरना दीवानी
बिजली नहीं है यही इक ग़म है
तेरी बिंदिया क्या बिजली से कम है
जाता हूँ जाऊँगा पहले यहाँ आओ
देखो मैंने देखा है ये इक सपना
फूलों के शहर में है घर अपना
कैसी प्यारी है ये छोटी सी रसोई
हो हम दोनों हैं बस दूजा नहीं कोई
इस कमरे मे होंगी मीठी बातें
उस कमरे में गुज़रेंगी रातें
ये तो बोलो होगी कहाँ पे लड़ाई
मैंने वो जगह ही नहीं बनाई
फूलों के शहर में है घर अपना
देखो मैंने देखा है ये इक सपना
फूलों के शहर में है घर अपना